वास्तु शास्त्र के अनुसार हम सब एक ऊर्जावान प्रवाह से जुड़े हुए हैं जो बाधित नहीं होने चाहिए, इसलिए निरंतर सद्भाव की तलाश करना महत्वपूर्ण है। फर्नीचर, सामग्री और रंग को सही तरीके से घर में सजाकर उनकी तरलता को बनाए रखने में वास्तुशास्त्र की युक्तियाँ महान भूमिका निभाते हैं। आईये घर के प्रत्येक तत्व को चुनने से पहले वास्तु शास्त्र में उनकी अभिप्राय के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर लें ताकि उनका सही इस्तेमाल कर पाएं। जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं, घर में सकारात्मकता फ़ैलाने के लिए वास्तु शास्त्र के विचारों को हर हिस्से में प्रयोग करना उल्लेकनिय है ।
घर को सकारात्मक वस्तुओ से सजाने का यह मतलब नहीं की हर वक़्त खुशहाली और समृद्धि बानी रहेगी क्योकि प्रत्येक व्यक्ति पर इसका विशेष असर होता है और कमरे के सजावट भी अलग-अलग होते है इसिलए शांत वातावरण का योजनाबद्ध निर्माण करना है। आज हम आपके साथ वास्तु शास्त्र के ऐसी युक्तियाँ बाँटने वाले हैं जो आपके शयनकक्ष के निर्माण और सजावट में संतुलन बनाये रखती है और आपके दिलो-दिमाग में शांति बनाये रखते हैं।
तत्वों के अनुसार घर के सभी कमरों के बीच संतुलन को बनाये रखने में रंगो की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बैठक और भोजन कक्ष में लोगों का आना-जाना और सामंजस्य का वातावरण होता है इसीलिए यहाँ पर हलके रंग सकारात्मक ऊर्जा का सञ्चालन करते है, जबकि शयनकक्ष में धरती से जुड़े रंग जैसे भूरा, हरा, गहरा नीला शुभ माना जाता है।
बिस्तर को एक ही पंक्ति में द्वार के सामने कभी नहीं लगाया जाना चाहिए। बिस्तर की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है, और अगर दरवाजे के सामने रखा तो ऊर्जा के प्रवाह को अवरुद्ध कर सकते हैं जो एक बुनियादी नियम है।
प्राकृतिक तत्वों के साथ कमरे को सजाके एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण बनाने के लिए पौधों का भी महत्वपूर्ण सहयोग लिया जा सकता है । घर के अंदर शयनकक्ष में पौधों को सजाते वक़्त ध्यान रहे की इन पौधों में कांटेदार कैक्टस या सपाट पत्ते वाले नस्ल न हो, रंगीन फूलो वाले नस्ल हो तो सबसे उत्तम होंगे। अगर कमरे में खिड़की है तो उस पौधे को वही रखे ताकि ताज़ी हवा और धुप दोनों उसे मिलती रहे और वातावरण को प्रेम और सहृदयता से भर दे।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक शयनकक्ष की अलमारी में अगर आईना लगाना है तो दरवाज़े के बाहर के बजाए अंदर के तरफ लगाए ताकि बिस्तर का प्रतिबिम्ब उसपर पड़ना बिल्कुल निषिद्ध है। हालांकि, एक बड़ी, भारी कैबिनेट ऊर्जा को अवरुद्ध कर सकता है, इसलिए आतंरिक सज्जाकार दीवार में लगी अलमारी का परामर्श देते हैं ताकि कमरे में भी अंतरिक्ष बनी रहे।
प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश जैसे महत्वपूर्ण तत्वों के बीच परस्पर क्रिया होती है जिसको वास्तु के नाम से जाना जाता है। इस क्रिया का व्यापक प्रभाव इस पृथ्वी पर रहने वाली मनुष्य जाति के अलावा अन्य प्राणियों पर पड़ता है और वास्तु शास्त्र के अनुसार इस प्रक्रिया का प्रभाव हमारे कार्य प्रदर्शन, स्वभाव, भाग्य एवं जीवन के अन्य पहलुओं पर भी पड़ता है।
वास्तु का हमारे निवासस्थान से भी गहरा ताल्लुक होता है और इसकी युकितियाँ हमारे और इन तत्वों के बीच सामंजस्य स्थापित करने में मदद करते हैं। वास्तु शास्त्र कला, विज्ञान, खगोल विज्ञान और ज्योतिष का मिश्रण है जो सदियों पुराना रहस्यवादी नियोजन का विज्ञान, चित्र नमूना एवं अंत निर्माण है। यह माना जाता है कि वास्तुशास्त्र हमें नकारात्मक तत्वों से दूर सुरक्षित वातावरण में रहने की युक्तियाँ बताकर हमारे जीवन को बेहतर बनाने एवं कुछ गलत चीजों से हमारी रक्षा करने में मदद करता है।
सामान्य तौर पर कमरे एक आयताकार या चौकोर आकार के होता है जिन्हे वास्तु में अधिक सिफारिश की जाती है क्योकि ऐसा करने से कमरे में कोण और कोनों की कमी होगी क्योकि इनकी बहुतायत ऊर्जा सामंजस्य को रोकती है। इस उदहारण में हमने इस संतुलित कोण को बनाए रखने के लिए कमरे के चारो कोने के बीच बिस्तर को लगाया है।
वास्तु शास्त्र के तत्वों में दर्पण का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि इस तत्व का ऊर्जावान स्तर पर बहुत अच्छा वजन है और कमरे में बहुत सद्भाव ला सकता है। यह ध्यान रखना चाहिए के यह कभी भी बिस्तर की सामने न हो न ही बिस्तर के किसी भी हिस्से का प्रतिबिंब उसपर पड़ना चाहिए।
वास्तु शास्त्र धातुओं के बजाय लकड़ी के बिस्तरों की सिफारिश करता है क्योंकि लकड़ी जैसे प्राकृतिक तत्वा से सकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं, जबकि धातु और लोहे से यहाँ नकारात्मक ऊर्जा का उत्पादन होता है। बिस्तर के चारों ओर नकारात्मक ऊर्जा हमें तनाव और तनाव पैदा कर सकती है, जबकि सकारात्मक ऊर्जा हमें शांति से सोने देता है। बिस्तर को अनियमित आकार की बजाय गोल या चौकोर जैसे नियमित आकार में होना चाहिए। वास्तु शास्त्र यह भी सलाह देता है कि बिस्तर के नीचे किसी भी धातु या चमड़े की वस्तुओं को संचय न करें।
सफ़ेद, हर कमरे के लिए शांतिपूर्ण और निस्चल रंग है जो उत्कृष्टता और आत्मीयता को सिफारिश देता है। सकारात्मक शक्तियों को शयनकक्ष में एकत्र करके आराम करने के लिए एक आदर्श वातावरण पैदा करने के लिए सफ़ेद रंग उपयुक्त है। इस कमरे को इसीलिए न्यूनतम शैली में परिपूर्ण तरीके से वास्तुशास्त्र के मान्यताओं के अनुसार सजाया गया है।
वास्तु शास्त्र सिद्धांतों के अनुसार, मास्टर बेडरूम हमेशा घर के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित होना चाहिए क्योंकि दक्षिणपश्चिमी धरती तत्व और भारीपन का प्रतिनिधित्व करता है, इस प्रकार यह घर के प्रमुखों के लिए उपयुक्त होता है।कमरे कि वातावरण को सजाते समय नीले, बैंगनी और हरे रंग के इलावा सफ़ेद भी सुखद सपनों और पर्याप्त आराम के लिए, अच्छे हैं। ध्यान दें कि बिस्तर का सिरहाना कमरे के दरवाज़े के सामने कभी नहीं रखा हो।
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